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सोलर योजना से होने वाले फायदे !
इस योजना से बिजली और डीजल से चलने वाले पम्पों को सोर ऊर्जा से चलने वाले पम्पों में बदला जाएगा। सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली का उपयोग सबसे पहले सिंचाई के क्षेत्र में होगा। इसके बाद इसे अधिशेष वितरण कंपनी को बेचा जा सकता है और यह 25 वर्षों तक इनकम देगी। सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली और डीजल की लगत भी कम होगी और प्रदूषण में भी सुधार होगा। ये 25 साल तक चल सकते हैं और इनका रखरखाव भी आसान होता है। इससे जमीन का मालिक हर साल 1 लाख तक का प्रॉफिट बना सकता है किसान सोलर योजना में सोलर पंप पर 90 प्रतिशत तक सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है जिसे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा – देश भर के लाखों किसानों के सोलर पंपों को भी ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। इससे जो बिजली खेतों में पैदा होगी उसको किसान जरूरत के हिसाब से अपनी सिंचाई के लिए उपयोग कर सकें गे और अतिरिक्त बिजली को बेच भी पाएंगे।
किसान कुसुम योजना के लिए आवेदन करें
सोलर योजना आवेदन शुल्क
इस योजना के अंतर्गत आवेदक को सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए आवेदन करने के लिए ₹5000 प्रति मेगावाट तथा जीएसटी की दर से आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। यह भुगतान प्रबंध निर्देशक राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के नाम से डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जाएगा। आवेदन करने के लिए 0.5 मेगावाट से लेकर 2 मेगावाट तक के लिए आवेदन शुल्क कुछ इस प्रकार है।
मेगा वाट | आवेदन शुल्क |
0.5 मेगावाट | ₹ 2500+ जीएसटी |
1 मेगावाट | ₹5000 + जीएसटी |
1.5 मेगावाट | ₹7500+ जीएसटी |
2 मेगावाट | ₹10000+ जीएसटी |
किसान कुसुम योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करें !
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कुसुम योजना कृषकों के बीच सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह “किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान” का संक्षिप्त रूप है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य कृषकों को उनके कृषि भूमि पर सोलर पंप, सोलर पैनल, और अन्य नवीनीकरण ऊर्जा पर आधारित परियोजनाओं की स्थापना में सहायता प्रदान करना है। इसका लक्ष्य कृषि और अन्य कृषि गतिविधियों के लिए कृषकों को एक दृढ़ और सतत ऊर्जा स्रोत प्रदान करके उनकी आय को बढ़ाना है, साथ ही देश के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करके कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।कुसुम योजना से एक स्थायी और लगातार आमदनी का स्रोत खुलेगा। ऐसा अनुमान है कि यदि किसान द्वारा लीज पर दी गई भूमि पर डेवलपर/सीपीएसयू द्वारा संयंत्र स्थापित किया जाएगा तो किसानों को प्रति वर्ष प्रति एकड़ 25,000 रु. तक की आमदनी होगी और यदि वे बैंक से ऋण लेकर स्वयं संयंत्र लगाते हैं तो प्रति वर्ष प्रति एकड़ 65,000 रु. तक की आमदनी होगी।